29℃ Madhya Pradesh

Get In Touch

राज्य सरकारों के बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाने वाले जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई होंगे सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश

Logo

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो रहे हैं, जस्टिस गवई इसके बाद कार्यभार ग्रहण करेंगे। परंपरा के अनुसार जस्टिस खन्ना ने जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश कानून मंत्रालय को की थी। जस्टिस गवई ने कई अहम फैसले देने के साथ ही राज्य सरकारों के बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाने के कारण चर्चा में आए थे।

भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय को जस्टिस बीआर गवई को अगला सीजेआई नियुक्त करने की सिफारिश की। वह 14 मई 2025 को देश के 52वें चीफ जस्टिस के के रूप में शपथ लेंगे। मौजूदा सीजेआई संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो रहे हैं। बीआर गवई अनुसूचित जाति से आने वाले दूसरे चीफ जस्टिस होंगे, उनके पहले सीजेआई केजी बालाकृष्णन भी अनुसूचित जाति के थे। जस्टिस बीआर गवई पद संभालने के 6 महीने बाद तक सीजेआई रहेंगे और नवंबर 2025 में रिटायर होंगे।  

1985 में शुरू की वकालत

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ। उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की। उन्होंने अपने शुरुआती वर्षों में पूर्व महाधिवक्ता और हाईकोर्ट के जज बैरिस्टर राजा एस. भोसले के साथ 1987 तक कार्य किया। इसके बाद 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की। जस्टिस गवई अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाई कोर्ट, नागपुर खंडपीठ में सहायक सरकारी अभिभाषक और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किया गया। 17 जनवरी 2000 को बीआर गवई नागपुर खंडपीठ के लिए सरकारी अभिभाषक और पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किया गया। जस्टिस गवई 1990 के बाद मुख्य रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में प्रैक्टिस की

2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने

14 नवंबर 2003 को वे बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए और 12 नवंबर 2005 को स्थायी न्यायाधीश बने। उन्होंने मुंबई मुख्य पीठ सहित नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की बेंच पर विभिन्न प्रकार के मामलों की अध्यक्षता की। 24 मई 2019 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।

कई महत्वपूर्ण फैसले हैं गवई के नाम

जस्टिस गवाई पांच जजों वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने दिसंबर 2023 में पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा था। जस्टिस गवई पांच न्यायाधीशों वाली उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे जिसने 4:1 के बहुमत से केंद्र के 2016 के 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को मंजूरी दी थी। जस्टिस गवई के नेतृत्व वाली पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अखिल भारतीय स्तर पर दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि कारण बताओ नोटिस दिए बिना किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए। प्रभावितों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए।

 

img
Consulting Editor

Ardhendu bhushan

Ardhendu Bhushan

Post a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WhatsApp