अयोध्या के राम मंदिर की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का निधन, लंबे समय से थे बीमार, दिल्ली में चल रहा था इलाज
by Ardhendu bhushan
- Published On : 07-Feb-2025 (Updated On : 07-Feb-2025 01:08 pm )
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नई दिल्ली ।अयोध्या के राम मंदिर की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का दिल्ली में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। अगस्त 2024 में उनका किडनी ट्रांसप्लांट कराया गया था।
कामेश्वर चौपाल का जन्म बिहार के सुपौल जिले कमरैल गांव में हुआ था। नौ नवंबर 1989 को उन्होंने अयोध्या में श्रीराम मंदिर की पहली ईंट रखी थी। तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हजारों साधु-संतों और लाखों कारससेवक इसमें जुटे थे। उस वक्त वे विहिप के संयुक्त सचिव थे। वर्ष 2002 में विधान पार्षद बनाए गए थे। परिजनों ने बताया कि गुरुवार मध्य रात्रि अस्पाल में उन्होंने दम तोड़ दिया। वह कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिन्दू परिषद् समेत पूरे विचार परिवार में शोक की लहर दौर पड़ी है। संघ ने उन्हें प्रथम कार सेवक का दर्जा दिया था। उनका पार्थिव शरीर पटना आ रहा है।
राम मंदिर आंदोलन के समय 9 नवंबर 1989 को अयोध्या के श्रीराम मंदिर के शिलान्यास में पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के आजीवन सदस्य थे। कामेश्वर चौपाल दलित समुदाय से आते थे। वह बिहार के सुपौल जिले के रहने वाले थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई मधुबनी जिले से की है। यहीं वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संपर्क में आए थे। उनके एक अध्यापक संघ के कार्यकर्ता हुआ करते थे। संघ से जुड़े उसी अध्यापक की मदद से कामेश्वर को कॉलेज में दाखिला मिला था। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही वे संघ के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो चुके थे। इसके बाद उन्हें मधुबनी जिले का जिला प्रचारक बना दिया गया था। कामेश्वर चौपाल ने 1991 में लोक जनशक्ति पार्टी के दिवंगत नेता रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा था। 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने। 2014 में भाजपा ने उन्हें पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था
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